मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने, किसी की बेवफाई ने किसी के झूठे वादों ने। महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए, ये दुनिया की रस्म है मोहब्बत न समझ लेना। मुझे शिकवा नहीं कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़, गिला तो तब हो अगर तूने किसी से निभाई हो । इस दुनिया में वफ़ा करने वालों की कमी नहीं, बस प्यार ही उससे हो जाता है जो बेवफा हो। खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा को, दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी। जाते-जाते उसके आखिरी अल्फाज़ यही थे, जी सको तो जी लेना मर जाओ तो बेहतर है। हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम, होने लगे तो कुछ कुछ बेवफा से तुम। वाकिफ तो थे तेरी बेवफ़ाई की आदत से, चाहा इसलिए कि तेरी फितरत बदल जाये। उँगलियाँ आज भी इसी सोच में गुम हैं, कि कैसे उसने नए हाथ को थामा होगा। कैसे बुरा कह दूँ तेरी बेवफाई को, यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है।...